सौंदर्य के लिए जूसों का प्रयोग

-शहनाज हुसैन-

आन्तरिक स्वास्थ्य तथा बाहरी सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अच्छे आन्तरिक स्वास्थ्य का प्रभाव शरीर की त्वचा तथा बालों पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। निखरी त्वचा तथा घने चमकीले बाल अच्छे आन्तरिक सौंदर्य का सूचक होते है। शरीर को आवश्यक पौषक पहुंचाने का सरल तरीका ताजा फल तथा सब्जियों का सेवन है। वह विटामिन, मिनरल, एन्जाईंम का सबसे प्रचुर साधन है जोकि सौंदर्य के लिए अनमोल माने जाते है।

जूस शरीर में सबसे ज्यादा आसानी तथा तेजी से घुलमिल जाते हैं क्योंकि यह रक्त धमनियों में सबसे ज्यादा समहित हो जाते है। पौषक तत्वों में सम्पन्न होने की वजह से जूस शरीर के रक्त अंगों तथा ग्रन्थियों में नए प्राण का संचार करते हैं। इनका नसों पर भी शान्तिदायक प्रभाव पड़ता है जिसका शरीर तथा दिमाग दोनों को लाभ मिलता है। यह कोष्किाओं के पुनःज्जीवन में भी सहायक सिसिद होते है। त्वचा का सौंदर्य तथा यौवन स्वास्थ्य कोशिकाओं के दक्ष पुनः स्थापना पर सर्वाध्कि रूप से निर्भर करता है।

ताजा फलों के जूस के सेवन से शरीर की प्रतिरोघात्मक प्रणाली को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है जिससे यौवन को लम्बे समय तक बनाया रखा जा सकता हैं तथा बुढ़ापे को प्रभाव को भी रोका जा सकता है। जूसों को शक्तिशाली क्लीन्जिंग तथा औषाधीय शक्ति की वजह से यह प्राचीन समय से प्रकृतिक उपचार का अभिन्न अंग रहे हैं। जूस शरीर के विषैले तथा गंदे पदार्थो को साफ करने में मदद करते है तथा खून को साफ रखते है। इससे शरीर के आन्तरिक अंगों तथा ग्रन्थियों को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है जिससे त्वचा, बाल, आंखे तथा नाखूनों के सौंदर्य में जबरदस्त निखार आता है। शरीर की त्वचा तथा बालों के सौंदर्य का सीध प्रभाव शरीर द्वारा ग्रहण करने वाले पौषक तत्वों से सीधे तौर पर जुड़ा है। प्राकृतिक भोजन से परिपूर्ण संतुलित आहार आवश्यक पौषाहार का सबसे उत्तम स्त्रोत है।

शरीर में प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए ताजा फलों एवं सब्जियों के जूस के साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी भी ग्रहण करना चाहिए। वास्तव में यह शरीर को पर्याप्त पौषाहार प्रदान करने का सर्वाध्कि बेहतर तरीका है। इससे शरीर को रसायनिक तत्वों से मुक्त करने तथा साफ रखने में मदद मिलती है। यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल तथा एन्जाईंम प्राप्त होते है तो यह सर्वाधिक महंगे सौंदर्य प्रसाध्नों से भी ज्यादा आकर्षक दिखने में मदद कर सकते हैं। विटामिन सी कोलाजेन टिशू के स्वास्थ्य में अहम भूमिका अदा करते हैं जोकि त्वचा की मजबूती तथा लचक के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। सर्वाधिक त्वचा के रोग तथा बालों के झड़ने की समस्या शरीर में पौषक तत्वों की कमी तथा शरीर में चर्बी के बढ़ने की वजह से होते है तथा यह दोनों गलत खानपान एवं कूपोषण का परिणाम है।

जूस सभी फलों तथा सब्जियों से निकाले जा सकते हैं। आपको सेब, अंगूर, संतरा, गाजर, खीरा, टमाटर, बन्द गोभी तथा पालक के ताजे जूस का उपयोग करना चाहिए। प्रारम्भ में हल्की मात्रा में जूस का उपयोग करना शुरू कीजिए तथा इसकी मात्रा को धीरे से बढ़ाते जाईए। जब आपके शरीर को आदत पड़ जाए तो प्रतिदिन जूस का उपयोग करना शुरू कर दीजिए। यह जरूर याद रखिए की जूस को पानी में मिलाकर पतला कर लेना चाहिए तथा उन्हें हमेशा निकालने के बाद ताजा ही लेना चाहिए। ताकि उनमें पोषक तत्वों का उपयोग किया जा सके। फल तथा सब्जियों बिल्कूल ताजा होनी चाहिए तथा इनमें नीबू तथा संतरे का जूस महक के लिए मिलाया जा सकता है लेकिन जूस में नमक तथा चीनी के उपयोग तथा इसकी आदत कतई नहीं डालनी चाहिए।

वास्तव में वजन घटाने के लिए चीनी के बगैर जूसों को कम कैलोरी पेय बनाकर अच्छी तरह उपयोग किया जा सकता है। जूसों को अलमूनियम के बर्तनों में तो बनाया जाना चाहिए और न ही क्षयकारी बर्तन में रखा जाना चाहिए। यदि आप बीमार हो तो आपको भोजन सम्बन्धी रोक लगाई गई है तो आप फल तथा सब्जियों के जूस के उपयोग से पहले डाक्टर की सलाह अवश्य ले लें। हाल ही में ठंडे दबाकर रखे गए जूसों के उपयोग का प्रचलन भारत में तेजी से बढ रहा है तथा इनमें एलोवेरा, आमला, वनीला वीन, आदि पदार्थो को पोषण तथा स्वाद बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है। इन जूसों में गर्मियों में खीरे के जूस को अजवाईन मिलाकर तथा नीबू जूस को भी मिलाया जा सकता है। इनमें मिनरल भी शामिल होते हं जोकि शरीर को साफ करने में मददगार साबित होते है।

गर्मियों में लौकी, तुरई, कद्दू जैसी पर्याप्त पानी वाली सब्जियां उपलब्ध् होती है। लौकी को टमाटर तथा गाजर के साथ मिश्रिमत करके स्वादिष्ट स्वास्थ्य वर्धक जूस बनाया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोल्ड प्रैसड जूस सर्वाध्कि पोषक तत्वों से परिपूर्ण होते हैं। कोल्ड पै्रसड तरीके से बनाए गए ग्रीन जूस इन्जाइमस में सम्पन्न होते है। यह शरीर को रासायनिक तत्वों से मुक्त करने तथा शारीरिक प्रणाली को क्षार विशिष्ट बनाने में काफी मदद करते है। इनमें साग, पोदिना, अजवायन, अजमोद, खीरा, नीबू, जूस तथा ताजे अदरक आदि की उपस्थित से शरीर की प्रतिरोधत्मक प्रणाली को खड़ा करने में मदद मिलती है।

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